जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° बिना जल के धान नहीं उगता उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° बिना विनय के पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ की गई विदà¥à¤¯à¤¾ फलदायी नहीं होती।
- à¤à¤—वान महावीर